अकबर और बीरबल की कहानी हम सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं। महाराज अकबर के मंत्री बीरबल अपने चातुर्य के लिए बेहद प्रसिद्द थे। अकबर और बीरबल की कहानी कितनी सच्ची और कितनी झूटी है यह तो हमें पता नहीं मगर उनकी कहानी से हमेशा हमें कुछ नयी बात जरूर सिखने को मिलती हैं।
एक बार अकबर ने बीरबल के हिन्दू संस्कृति का मजाक उड़ाया और इस पर क्रोधित न होकर बीरबल ने कैसे अकबर को अपने समझबूझ से हिंदुत्व की महानता को प्रैक्टिकली समझाया यह इस कहानी में बताया गया हैं।
अकबर-बीरबल से जुडी यह रोचक जानकारी निचे दी गयी हैं :
अकबर-बीरबल की रोचक कहानी
Akbar Birbal Story in Hindi Language
एक बार अकबर बीरबल हमेशा की तरह टहलने जा रहे थे।
रास्ते में एक तुलसी का पौधा दिखा। मंत्री बीरबल ने झुक कर तुलसी के पौधे को प्रणाम किया।
अकबर ने पूछा कौन हे ये ?
बीरबल ने कहा, " यह मेरी माता हे। "
बीरबल ने कहा, " यह मेरी माता हे। "
अकबर ने तुलसी के झाड़ को उखाड़ कर फेक दिया और बोला, " कितनी माता हैं तुम हिन्दू लोगो की ?"
बीरबल ने उसका जबाब देने की एक तरकीब सूझी। आगे एक बिच्छुपत्ती (खुजली वाला) झाड़ मिला। बीरबल उसे दंडवत प्रणाम कर कहा, "जय हो बाप मेरे। "
अकबरको गुस्सा आया। दोनों हाथो से झाड़ को उखाड़ने लगा। इतने में अकबर को भयंकर खुजली होने लगी तो बोला, "बीरबल ये क्या हो गया ?"
बीरबल ने कहा आप ने मेरी माँ को मारा इस लिए ये बापू गुस्सा हो गए हैं !
अकबर जहाँ भी हाथ लगता खुजली होने लगती। बोले बीरबल जल्दी कोई उपाय बतायो।
बीरबल बोला उपाय तो है लेकिन वो भी हमारी माँ है उससे विनती करनी पड़ेगी।
अकबर बोला जल्दी करो। आगे गाय खड़ी थी बीरबल ने कहा गाय से विनती करो की, "हे माता दवाई दो। "
गाय ने गोबर कर दिया, अकबर के शरीर पर उसका लेप करने से फौरन खुजली से राहत मिल गई।
अकबर बोला, "बीरबल अब क्या राजमहल में ऐसे ही जायेंगे ?"
बीरबलने कहा, "नहीं बादशाह हमारी एक और माँ है। सामने गंगा बह रही थी। आप बोलिए हर-हर गंगे, जय गंगा मईया की...और कूद जाइए।
नहा कर अपनेआप को तरोताजा महसूस करते हुए अकबर ने बीरबल से कहा की, "ये तुलसी माता, गॊ माता, गंगा माता तो जगत माता है ! इनको मानने वालो को ही हिन्दू कहते हैं। सच में हिन्दू एक संस्कृति है, सभ्यता है, सम्प्रदाय नहीं।"
इस तरह बीरबल ने अपनी समझबूझ से सम्राट अकबर को हिन्दू और हिंदुत्व की महानता का परिचय कराया और अकबर को यह मानने को मजबूर किया की हर धर्म अपनी जगह श्रेष्ठ हैं।
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