आचार्य कौटलीय चाणक्य के बारे में हम सभी को पता हैं। भारत वर्ष को टुकड़ों में टूटने देने की बजाय एक महान देश बनाने में उनका बहोत बड़ा योगदान हैं। चंद्रगुप्त जैसे एक साधारण बालक को आचार्य चाणक्य ने अपने असीम ज्ञान और चातुर्य से मगध जैसे महान राज्य का राजा बना दिया और आगे जाकर सम्राट अशोक को चक्रवर्ती सम्राट बनने प्रेरणा दी।
आज भी, कई वर्ष पहले लिखी हुई चाणक्य नीति हमारे लिए उपयोगी साबित होती हैं। बड़े-बड़े मैनेजमेंट कोर्स में भी चाणक्यनीति सिखाई जाती हैं। ऐसी ही महान गुरु चाणक्य के जीवन की एक छोटी से कहानी आज हम आपके साथ यह शेयर कर रहे हैं।
चाणक्य की जीवन से जुड़ा यह प्रसंग हम सभी के लिए बेहद प्रेरणादायी हैं। अधिक जानकारी के लिए आगे पढ़े :
आचार्य चाणक्य की प्रेरनादायी कहानी
Chankya Motivational Story in Hindi
एक बार सम्राट चंद्रगुप्त ने आचार्य चाणक्य से कहा, "आचार्य चाणक्य, काश आप खूबसूरत होते?"
आचार्य चाणक्य ने कहा, "राजन, इंसान की पहचान उसके गुणों से होती है, रूप से नहीं।'
तब चंद्रगुप्त ने पूछा, 'क्या कोई ऐसा उदाहरण दे सकते हैं जहां गुण के सामने रूप छोटा रह गया हो।'
तब चाणक्य ने राजा को दो गिलास पानी पीने को दिया।
फिर आचार्य चाणक्य ने कहा, 'पहले गिलास का पानी सोने के घड़े का था और दूसरे गिलास का पानी मिट्टी के घड़े का, आपको कौन सा पानी अच्छा लगा।'
चंद्रगुप्त बोले, 'मटकी से भरे गिलास का।'
नजदीक ही सम्राट चंद्रगुप्त की पत्नी मौजूद थीं, वह इस उदाहरण से काफी प्रभावित हुई।
उन्होंने कहा, 'वो सोने का घड़ा किस काम का जो प्यास न बुझा सके।
मटकी भले ही कितनी कुरुप हो, लेकिन प्यास मटकी के पानी से ही बुझती है, यानी रूप नहीं गुण महान होता है।'
इसी तरह इंसान अपने रूप के कारण नहीं बल्कि उपने गुणों के कारण पूजा जाता है।
रूप तो आज है, कल नहीं लेकिन गुण जब तक जीवन है तब तक जिंदा रहते हैं, और मरने के बाद भी जीवंत रहते हैं।*
आचार्य चाणक्य के जीवन से जुड़ा यह प्रसंग हमें बेहद बड़ी सीख देता हैं। आजकल लोग अपने बाह्य सौंदर्य पर अधिक ध्यान देते। हमें अपने गुणों पर अधिक ध्यान देना चाहिए और कोशिश करना चाहिए की हमारा आचरण, वाणी और ज्ञान हमेशा सबसे बेहतर रहे।
आशा है आपको यह छोटी सी कहानी पसंद आयी होगी। अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो कृपया इसे शेयर अवश्य करे !
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