कहते हैं भगवान हर समय हर जगह उपलब्ध नहीं हो सकता हैं, ओर इसी लिए भगवान ने माँ को बनाया हैं ! दुनिया में अगर आपके पास धन नहीं है तो भी आप गरीब नहीं है क्योंकि आप परिश्रम से धन प्राप्ति कर सकते हैं। अगर आप के पास अपार संपत्ति है पर माँ नहीं हैं तो इससे बड़ी निर्धनता और कोई नहीं हैं। माँ के संबंध में बहोत कुछ लिखा जा चूका है, बहोत कुछ पढाया जा चूका हैं पर फिर भी माँ की महिमा इतनी अपरंपार है की फिर भी सब कम ही लगता हैं।
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#MyFirstExpert - Mother ! |
हर व्यक्ति के जीवन में अगर कोई पहला गुरु या First expert रहता हैं तो वह उस व्यक्ति की माँ ही होती हैं। एक बालक माँ के गर्भ में रहता है उस समय से ही पोषण के साथ कई तरह की चीजे अपने माँ से सीखता हैं। मैंने अपने जीवन में कई सारी बाते अपनी माँ से सीखी हैं। हमेशा प्रेम करने वाली माँ कभी-कभी कठोर भी होती है तो सिर्फ अपने बच्चो के भलाई के लिए ही। मुझे याद है जब में छोटा था तब कुछ गलत बच्चो की संगत में पड़कर कुछ गलत शब्द बोलना सिख गया था। उस समय पहली बार मुझे माँ ने मुझे मारा था ओर उस गलत संगत से छुड़ाया था। जब में कॉलेज की दिनों में हॉस्टल में रहने जा रहा था तब माँ ने मुझे जबरदस्ती नाश्ता ओर खाना बनाना सिखाया था जिससे मुझे आगे जाकर हॉस्टल में मुझे अच्छा खाना खाने में लाभ हुआ।
मुझे इस बात की ख़ुशी हैं की मेरी माँ आज भी मेरे साथ हैं ओर उनके स्नेह ओर आशीर्वाद की शक्ति हमेशा मेरे पास हैं। माँ के उपकारो का वर्णन करना तो असंभव है पर मैंने निचे अपनी कविता में उसे बताने का प्रयास किया हैं।
" माँ शब्द में है कितनी प्यारभरी अनुभूती, उसे तो कहते हैं वात्सल्य की मूर्ति।
हमारी उंगली थामकर हमें चलना हैं सिखाती, जीवन जीने के लिए काबिल हैं बनती।
हमें बड़ा करने में मेहनत की दिन रात, बना कहे ही कैसे समझ जाती हर बात।
समर्पित करती हैं अपनी जिंदगी बच्चो के लिए, जीवन सारा न्योछावर करती हैं हमारे लिए।
मुश्किल हैं समझना माँ की परिभाषा, प्रगति के पथ पर चलते रहे यही उनकी अभिलाषा।
माँ तो होती है भगवान का साक्षात स्वरुप, जिंदगीभर के लिए समा जाता है मनमे माँ का रूप।
चरणों में झुककर पा लेते हैं परमसुख, आँचलतले माँ के भूल जाते हैं सब दुःख।
माँ के बिना लगता हैं जीवन अधुरा-अधुरा, मिटा देती हैं माँ हमारे जीवन का अँधेरा।
क्यों आज हम उन्हें भूलते जा रहे हैं, जिंदगी से हमारे दूर करते जा रहे हैं।
क्या यह दिन देखने के लिए माँ ने हमें बड़ा किया, उनके उपकारो का बदला किस तरह हमने चूका दिया। "
" ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आंसमा कहते है ओर निचे जिसके उपकारो का अंत नहीं उसे माँ कहते हैं !! "
Image courtesy : Stuart Miles at FreeDigitalPhotos.net
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